राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने के उद्देश्य से एक व्यापक नीतिगत ढांचा है। जबकि NEP 2020 अधिक समग्र और एकीकृत शिक्षा प्रणाली के लिए एक दृष्टिकोण प्रदान करता है, इसे संस्थानों में लागू करना कई कारणों से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सबसे पहले, एनईपी 2020 शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों की बात करता है, जिसमें स्कूल और उच्च शिक्षा का पुनर्गठन, नए पाठ्यक्रम को अपनाना और एक्सपीरियंसल एजुकेशन पर जोर देना शामिल है। इन परिवर्तनों को लागू करने के लिए बुनियादी ढांचे, फैकल्टी ट्रेनिंग और संसाधनों में महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होती है, जो कि कई संस्थानों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। विशेष रूप से सीमित बजट वाले संस्थानों के लिए।
दूसरे, एनईपी 2020 डिजिटल और ऑनलाइन सीखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रस्ताव करता है। जिसके लिए संस्थानों को प्रौद्योगिकी और डिजिटल संसाधनों तक पहुंच की आवश्यकता होती है। यह दूरस्थ क्षेत्रों में संचालित संस्थानों या सीमित संसाधनों वाले संस्थानों के लिए एक चुनौती हो सकती है।
तीसरा, एनईपी 2020 को लागू करने के लिए शिक्षकों, छात्रों और अन्य हितधारकों के बीच मानसिकता और संस्कृति में महत्वपूर्ण बदलाव की आवश्यकता है। यह एक ऐसी प्रणाली में एक चुनौती हो सकती है जो परंपरागत रूप से रट्टा मार कर पढ़ने और केवल परीक्षाओं पर केंद्रित रही है।
अंत में, एनईपी 2020 में सरकारी ढांचे और नियमों में बदलाव का भी प्रस्ताव है। लेकिन इसे जरुरत से ज्यादा रेगुलेटेट और लालफीताशाही की जकड़न से निकालना आसान नहीं।
कुल मिलाकर, जबकि एनईपी 2020 भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए एक रोडमैप प्रदान करता है। लेकिन इसे लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन इसमें शामिल स्टेकहोल्डर्स की मानसिकता और उनकी कार्यसंस्कृति है। इसके अलावा नीति में प्रस्तावित बदलावों, बुनियादी ढांचे और संसाधनों में निवेश की आवश्यकता भी बेहद चुनौतीपूर्ण है।
