विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारतीय शेयर बाजार में फिर से वापसी कर रहे हैं, जो कई महीनों तक बिकवाली के बाद एक बड़ा बदलाव है। यह बदलाव भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक संकेत देता है। अक्टूबर में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 10,889 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि अगस्त और सितंबर में उन्होंने क्रमशः 7,416 करोड़ और 57,724 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी। इस वापसी के पीछे कई कारण हैं, जो भारतीय बाजार के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण हैं। आइए इन कारणों को विस्तार से समझते हैं:
1. अमेरिका में ब्याज दरों में कमी
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल ही में अपनी ब्याज दरों में कटौती की है। जब अमेरिका में ब्याज दरें कम होती हैं, तो वहां निवेश से मिलने वाला रिटर्न घट जाता है। इससे विदेशी निवेशक अपने पैसे को भारत जैसे उभरते बाजारों में लगाने के लिए प्रेरित होते हैं, जहां उन्हें बेहतर रिटर्न की उम्मीद होती है। भारतीय शेयर बाजार के लिए यह एक बड़ा मौका है, क्योंकि यहां के शेयरों में निवेश बढ़ने से बाजार में तेजी आती है और कंपनियों को पूंजी जुटाने में मदद मिलती है।
2. भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था
भारत की अर्थव्यवस्था इस समय दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7% से अधिक रहने का अनुमान है। मजबूत आर्थिक नीतियां, बढ़ता मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, और डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रगति ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। भारतीय बाजार के लिए यह इसलिए फायदेमंद है, क्योंकि विदेशी निवेशक ऐसी अर्थव्यवस्थाओं में पैसा लगाना पसंद करते हैं जहां लंबे समय तक स्थिर विकास की संभावना हो। इससे न केवल शेयर बाजार को बल्कि देश की कंपनियों को भी फायदा होता है।
3. चुनाव के बाद राजनीतिक स्थिरता
2024 के लोकसभा चुनावों के बाद भारत में राजनीतिक स्थिरता आई है। नई सरकार के गठन और नीतिगत निरंतरता ने निवेशकों को यह भरोसा दिया है कि देश में आर्थिक सुधार जारी रहेंगे। भारतीय बाजार के नजरिए से यह बहुत जरूरी है, क्योंकि राजनीतिक अस्थिरता अक्सर बाजार में अनिश्चितता लाती है और निवेशक पैसा निकाल लेते हैं। लेकिन अब, स्थिर सरकार के कारण, विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों को सुरक्षित और लाभदायक मान रहे हैं।
4. कम कीमत पर उपलब्ध शेयर
पिछले कुछ महीनों में भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी गई थी। अगस्त और सितंबर में हुई बिकवाली के कारण कई अच्छी कंपनियों के शेयरों की कीमतें उनके वास्तविक मूल्य से कम हो गईं। भारतीय बाजार के लिए यह एक सुनहरा अवसर बन गया, क्योंकि विदेशी निवेशक अब इन सस्ते शेयरों को खरीद रहे हैं। उन्हें लगता है कि ये शेयर भविष्य में अच्छा रिटर्न दे सकते हैं। इससे बाजार में मांग बढ़ रही है और शेयरों की कीमतें धीरे-धीरे ऊपर जा रही हैं, जो भारतीय निवेशकों के लिए भी फायदेमंद है।
5. वैश्विक स्तर पर जोखिम लेने की बढ़ती इच्छा
दुनिया भर के निवेशक इस समय जोखिम लेने के मूड में हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार के संकेत मिल रहे हैं, जिसके कारण निवेशक उभरते बाजारों जैसे भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं। भारतीय शेयर बाजार के लिए यह एक बड़ा लाभ है, क्योंकि यहां के शेयरों में जोखिम के साथ-साथ ऊंचे रिटर्न की संभावना भी है। विदेशी निवेशकों की यह रुचि भारतीय बाजार को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है और स्थानीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर मजबूत बना सकती है।
भारतीय बाजार पर प्रभाव
इस वापसी का भारतीय शेयर बाजार पर सकारात्मक असर पड़ रहा है। सेंसेक्स और निफ्टी जैसे प्रमुख सूचकांक में तेजी देखी जा रही है। निवेशकों का भरोसा बढ़ने से बाजार में लिक्विडिटी (नकदी) बढ़ रही है, जिससे कंपनियों के लिए पूंजी जुटाना आसान हो रहा है। साथ ही, रुपये की कीमत में भी सुधार हो सकता है, क्योंकि विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ेगा। हालांकि, भारतीय बाजार को यह भी ध्यान रखना होगा कि अगर वैश्विक परिस्थितियां बदलती हैं, तो यह निवेश वापस भी जा सकता है। इसलिए, लंबे समय तक इस निवेश को बनाए रखने के लिए भारत को अपनी आर्थिक नीतियों को और मजबूत करना होगा।
कुल मिलाकर, विदेशी निवेशकों की वापसी भारतीय शेयर बाजार के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है, और यह देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूती देने में मदद कर सकती है।