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निर्वाचन प्रक्रिया में नागरिकों की भूमिका अहम, जानें राज्य चुनाव आयोगों के सम्मेलन में और किन-किन बातों पर दिया गया विशेष जोर

देश में निष्पक्ष चुनाव कराने में चुनाव आयोग (Election Commission) की भूमिका अहम होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए पिछले दिनों राजस्थान के माउंट आबू में लोकतंत्र को मजबूत करने में राज्य चुनाव आयोगों (Role of State Election Commissions) की भूमिका पर एक ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में देश के सभी राज्यों के चुनाव आयुक्तों ने भाग लिया. इस सम्मेलन का उद्घाटन राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया. सम्मेलन में आए वक्ताओं ने जमीनी स्तर पर मजबूत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने में राज्य चुनाव आयोगों (SEC) द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और सुधार की संभावनाओं पर भी अपने विचर व्यक्त किए. इस कार्यक्रम में राज्यों के चुनाव आयुक्तों के अलावा विधि सचिवों, नॉलेज पार्टनर, शिक्षाविदों और उद्यमियों ने भी भाग लिया.

बीते 5 और 6 जन को आयोजित इस सम्मेलन की शुरुआत राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र के मुख्य भाषण से हुई. कलराज मिश्र ने अपने भाषण में देश में जीवंत और समावेशी लोकतांत्रिक व्यवस्था के महत्व पर जोर दिया. कलराज मिश्र ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने में राज्य चुनाव आयोगों के द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. मिश्र ने कहा कि लोकतंत्र व लोकतांत्रिक संस्थाओं में आमजन के विश्वास को मजबूत करने में निर्वाचन आयोगों की प्रभावी भूमिका है. मतदान के प्रति लोगों को जागरूक कर चुनाव प्रक्रिया में नागरिकों की अधिकाधिक सहभागिता सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है.

लोकतंत्र मे निष्पक्ष चुनाव कराने में चुनाव आयोग की भूमिका
वहीं, राजस्थान के निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने कहा कि संवैधानिक संस्था के रूप राज्य निर्वाचन आयोगों को भी वही शक्तियां, स्वतंत्रता, स्वायत्तता प्रदान किए जाने की जरूरत है, जो वर्ष 1994 के बाद भारत निर्वाचन आयोग को दी गई हैं. गुप्ता ने आगे कहा कि आज के दौर में चुनाव प्रक्रिया में सूचना प्रौद्योगिकी, तकनीक के प्रभाव, स्थानीय निकाय चुनावों व पंचायत चुनावों में फंडिंग, चुनाव प्रक्रिया का व्यय घटाने के लिए ईवीएम समेत संसाधनों के बेहतर उपयोग को लेकर विभिन्न पहलुओं पर विचार करने की जरूरत है. इस सम्मेलन में आंध्रप्रदेश की राज्य निर्वाचन आयुक्त नीलम साहनी और महाराष्ट्र के राज्य निर्वाचन आयुक्त उरविन्दर पाल सिंह मदान ने भी अपने विचार व्यक्त किए.


इस सम्मेलन में राज्य में सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए चुनावी सुधारों की आवश्यकता पर विचार किया गया. साथ ही मतदाता पंजीकरण, चुनावी सीमा परिसीमन, मतदाता शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय चुनाव प्रबंधन निकायों से सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करने में प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसे विषयों पर चर्चा की गई. पैनल ने चुनावी प्रक्रिया में समावेशिता सुनिश्चित करने के लिए एसईसी द्वारा नियोजित रणनीतियों की खोज की. हाशिए पर रहने वाले समुदायों, महिलाओं, युवाओं और विकलांग व्यक्तियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उपायों पर चर्चा की गई.

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