पिछले दिनों जब रीट के एक्जाम हुए थे तब उसका खामियाजा आम जनता जिनमें कैब सर्विसेज, फूट सर्विस प्रोवाइडर, छोटे कारोबारियों को नेट बंद होने की स्थिति में करोड़ों के लेनदेन से हाथ धोना पड़ा था। अब एग्जाम के बाद गाज गिरी है पेपर देने वाले लाखों छात्रों पर। फिर वही परीक्षा, फिर वही पेपर लीक, फिर वही राजनीति कुलबुलाहट। आखिर ऐसा क्यों होता है। अन्य मुल्कों में ऐसी घटनाएं, मै तो कहूंगा वारदात देखने को ही नहीं मिलती।
इस मामले में राजस्थान के संदर्भ में कांग्रेस और भाजपा के लिए रोल रिवर्सल का समय आ गया है क्योंकि हिमाचल और राजस्थान ऐसे प्रदेश है जहां सरकारे दोहराई नहीं जाती। इन प्रदेशों में हर पांचवें साल सरकारें बदलती है। हालांकि राजस्थान में कोई सटीक आकलन लगा पाना इसलिए मुश्किल है क्योंकि यहां दोनो ही पार्टियां अंतर्विरोधों से घिरी है। एक तरफ जहां भाजपा अब भी मुख्यमंत्री पद के लिए किसी स्थानीय नेता का महत्व समझने में लगी है वहीं कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए एकाधिक दावेदार हैं।
हालांकि अशोक गहलोत लोकप्रिय हैं वहीं दूसरी तरफ सचिन पायलट उनके सामने चुनौती बने हुए हैं। चुनाव में कुछ महीने बाकी है लेकिन कांग्रेस अभी तक किसी समाधान या नतीजे पर नहीं पहुंची है। नेतृत्व के सवाल से इतर अन्य कुछ सुलगते प्रश्न है जो संकट खड़ा कर रहे है । अब रीट एक्जाम को ही लीजिए पेपर लीक को लेकर सियासी हलकों में बवाल मचा हुआ है।
जैसा कि देखने सुनने में आया है राजस्थान में एक बड़ा नकल गिरोह काम कर रहा है। जो हर भर्ती परीक्षा से पहले ही पेपर आउट कर लाखों बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। जिसमें कई राजनेता भी शामिल हैं। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। तभी प्रदेश के लाखों बेरोजगारों को न्याय मिल सकेगा। इसके साथ ही प्रदेश में नकल पर नकेल कसने के लिए कड़े नियम भी बनाए जाने चाहिए। तभी भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग पाएगा।
एक तरफ भाजपा नेता डॉ किरोड़ी लाल मीणा का दावा है कि 24 दिसंबर को हुई वरिष्ठ अध्यापक भर्ती का सामान्य ज्ञान का पेपर राजस्थान लोक सेवा आयोग के दफ्तर से लीक हुआ। डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा के मुताबिक आरपीएससी से सुरेश ढाका के पास ये पेपर पहुंचे थे। इसके पुख्ता प्रमाण उनके पास हैं। मीणा ने दावा किया कि पेपर लीक होने के बाद जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर, अलवर, भरतपुर, दौसा, कोटा और उदयपुर में प्रश्न पत्र भेजे गए। इसके एवज में करोड़ों रुपए एकत्रित किए गए। बसों के अलावा निजी गाड़ियों के जरिए भी पेपर ले जाए गए। लीक किये गए पेपर करीब तीन हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों को अलग-अलग जगह पढ़ाया गया।
उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होना दुर्भाग्यपूर्ण है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया। गहलोत ने कहा कि राजस्थान देश का एकमात्र राज्य है जिसने ऐसे मामलों में त्वरित और सख्त कार्रवाई की है। राजस्थान देश का पहला राज्य है जिसने ऐसे लोगों को तुरंत कार्यवाही करके जेल में डाला है। गहलोत जी कहते हैं जो लोग इस कृत्य में शामिल होंगे उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में विधानसभा में एक कानून पारित किया है जिसके तहत ऐसे लोगों को कड़ी सजा मिलेगी, अगर जरूरत पड़ी तो हम और भी सख्त कानून बनाएंगे।
भारतीय जनता पार्टी पेपर लीक मामले पर सरकार को चारो तरफ से घेरे हुए है कुल मिला कर भारतीय जनता पार्टी कमर कसे हुए है विशेषकर कर्नाटक में हार के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने राजस्थान सहित सभी चुनावी राज्यों में नेतृत्व संकट का समाधान करने और मतभेदों को दूर करने की पहल की है। संबंधों में सुधार की पहली झलक हाल ही अजमेर में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में देखने को मिली जहां पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा पीएम के समीप बैठी थीं। हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि आगामी चुनावों में वसुंधरा ही भाजपा की राजस्थान में कमान संभालने वाली हैं। क्योंकि केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, राजेंद्र सिंह भी राजस्थान में मुख्यमंत्री पद का चेहरा हो सकते हैं
हकीकत में देखा जाए तो राजस्थान में चुनावी राजनीति एक रोचक मोड़ पर आ पहुंची है। दोनों ही मुख्य पार्टियां वोटरों को अपने पक्ष में लाने में पूरी तरह से जुटी है, आने वाले समय में तस्वीर और साफ होगी कि हवा का रुख किस दिशा में है। अतीत में देखा जाए तो हुए चुनावों में जातिगत समीकरणों की अहम भूमिका रही है। सवर्ण वर्ग भाजपा की तरफ निष्ठावान रहता है जबकि दलित और मुस्लिम समुदाय कांग्रेस का दामन थामें नजर आते हैं। वहीं जाट और ओबीसी वर्ग एक पार्टी से दूसरी पार्टी पर शिफ्ट होते रहते हैं।
