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स्टारलिंक के साथ जियो और एयरटेल की साझेदारी: भारत में इंटरनेट क्रांति की ओर एक कदम

नई दिल्ली, 12 मार्च 2025: भारत के दो सबसे बड़े टेलीकॉम दिग्गज, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल, ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के स्टारलिंक के साथ साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी से भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की शुरुआत होने की संभावना बढ़ गई है, जिससे देश के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में हाई-स्पीड इंटरनेट की पहुंच संभव हो सकती है। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह साझेदारी स्टारलिंक के लिए भारत सरकार से नियामक मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया को तेज कर सकती है। भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए यह खबर एक नई उम्मीद लेकर आई है, लेकिन इसके साथ ही कई सवाल और चुनौतियां भी सामने हैं।
साझेदारी का महत्व
रिलायंस जियो ने 12 मार्च को घोषणा की कि वह स्टारलिंक के सैटेलाइट ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं को अपने ग्राहकों तक पहुंचाएगा। इससे ठीक एक दिन पहले, 11 मार्च को भारती एयरटेल ने भी स्पेसएक्स के साथ इसी तरह का समझौता किया था। दोनों कंपनियां स्टारलिंक के उपकरणों को अपने रिटेल स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए बेचने की योजना बना रही हैं, साथ ही ग्राहकों को इंस्टॉलेशन और सपोर्ट सेवाएं भी प्रदान करेंगी। यह साझेदारी भारत के डिजिटल परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क की पहुंच सीमित है।
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, स्टारलिंक को भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए 2022 से नियामक मंजूरी का इंतजार है। सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण इस प्रक्रिया में कई बार देरी हुई है। हालांकि, जियो और एयरटेल जैसे बड़े खिलाड़ियों के साथ साझेदारी से सरकार पर दबाव बढ़ सकता है कि वह स्टारलिंक को जल्द से जल्द मंजूरी दे। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारत का सैटेलाइट सेवा क्षेत्र 2030 तक सालाना 36 प्रतिशत की दर से बढ़कर 1.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की प्रतिक्रिया
भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने इस खबर का स्वागत तो किया है, लेकिन उनके मन में कई सवाल भी हैं। सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं से पता चलता है कि लोग इस साझेदारी को एक ओर जहां अवसर के रूप में देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कीमत और सेवा की गुणवत्ता को लेकर चिंतित भी हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की उम्मीद: भारत में करीब 70 करोड़ लोग अभी भी विश्वसनीय इंटरनेट से वंचित हैं, खासकर ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में। उपयोगकर्ताओं का मानना है कि स्टारलिंक की लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट तकनीक इन क्षेत्रों में तेज और स्थिर इंटरनेट प्रदान कर सकती है। एक यूजर ने लिखा, “अगर स्टारलिंक गांवों तक पहुंच गया तो ऑनलाइन शिक्षा और टेलीमेडिसिन जैसी सेवाएं आम लोगों तक पहुंच सकती हैं।”
कीमत को लेकर चिंता: भारत में मोबाइल डेटा बेहद सस्ता है, जहां औसतन 150 रुपये महीने में अनलिमिटेड डेटा उपलब्ध है। वहीं, स्टारलिंक की वैश्विक कीमत करीब 150 डॉलर (लगभग 12,000 रुपये) प्रति माह है। उपयोगकर्ता इस बात से चिंतित हैं कि क्या जियो और एयरटेल इसे भारतीय बाजार के लिए किफायती बना पाएंगे। एक यूजर ने टिप्पणी की, “अगर कीमत 3,000 रुपये से कम नहीं हुई तो यह आम आदमी की पहुंच से बाहर रहेगा।”
प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता: जियो और एयरटेल पहले से ही अपने फाइबर और 5G नेटवर्क के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट दे रहे हैं। कई उपयोगकर्ताओं का मानना है कि स्टारलिंक की एंट्री से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। हालांकि, कुछ लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या स्टारलिंक मौजूदा नेटवर्क से बेहतर होगा, खासकर शहरों में जहां पहले से ही तेज इंटरनेट उपलब्ध है।
नियामक बाधाएं: उपयोगकर्ताओं को यह भी चिंता है कि भारत की सख्त टेलीकॉम और डेटा नीतियां स्टारलिंक की राह में रोड़ा बन सकती हैं। पहले भी स्टारलिंक को प्री-बुकिंग के लिए लाइसेंस न होने के कारण झटका लगा था। एक यूजर ने लिखा, “साझेदारी अच्छी है, लेकिन सरकार की मंजूरी मिलने तक कुछ कहना मुश्किल है।”
जियो और एयरटेल का दृष्टिकोण
जियो के ग्रुप सीईओ मैथ्यू ओम्मन ने कहा, “स्टारलिंक को जियो के ब्रॉडबैंड इकोसिस्टम में शामिल करने से हम अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं और इस एआई-संचालित युग में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड की विश्वसनीयता और पहुंच को बेहतर कर रहे हैं।” वहीं, एयरटेल के प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि यह साझेदारी देश के सबसे दूरदराज के हिस्सों में भी कनेक्टिविटी लाएगी।
दोनों कंपनियां स्टारलिंक को अपने मौजूदा नेटवर्क के पूरक के रूप में देख रही हैं। जियो जहां स्टारलिंक के उपकरण बेचने के साथ-साथ इंस्टॉलेशन और एक्टिवेशन के लिए मजबूत सपोर्ट सिस्टम तैयार कर रहा है, वहीं एयरटेल इसे अपने बिजनेस ग्राहकों और ग्रामीण समुदायों तक पहुंचाने पर ध्यान दे रहा है।
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि यह साझेदारी आशाजनक है, लेकिन स्टारलिंक को भारत में सफल होने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना होगा। सबसे बड़ी चुनौती नियामक मंजूरी है, जिसमें स्पेक्ट्रम आवंटन, डेटा स्थानीयकरण और सुरक्षा मंजूरी शामिल हैं। इसके अलावा, कीमत को भारतीय बाजार के अनुकूल बनाना भी जरूरी होगा, क्योंकि सस्ता डेटा भारत में इंटरनेट की लोकप्रियता का मुख्य कारण है।
उपयोगकर्ताओं का मानना है कि अगर स्टारलिंक इन चुनौतियों से पार पा लेता है, तो यह भारत के डिजिटल डिवाइड को कम करने में अहम भूमिका निभा सकता है। एक यूजर ने लिखा, “यह न सिर्फ इंटरनेट की पहुंच बढ़ाएगा, बल्कि आपदा प्रबंधन और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी क्रांति ला सकता है।”
निष्कर्ष
जियो और एयरटेल की स्टारलिंक के साथ साझेदारी भारत के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए एक नई संभावना लेकर आई है। यह कदम देश को डिजिटल रूप से और सशक्त बना सकता है, बशर्ते कीमत और नियामक बाधाओं को प्रभावी ढंग से संभाला जाए। भारतीय उपयोगकर्ता इस बदलाव को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन उनकी नजर इस बात पर भी है कि यह तकनीक उनकी जेब और जरूरतों के हिसाब से कितनी सुलभ होगी। आने वाले महीने इस साझेदारी की सफलता और इसके असर को तय करेंगे।

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