चण्डीगढ़, 12 मार्च – हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री हरविन्द्र कल्याण ने बुधवार को यहां चल रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कहा कि विधानसभा लोकतंत्र का पवित्र मंदिर है, जहां प्रदेश का भविष्य तय होता है। यह सम्मान और गंभीरता का स्थान है। हम सभी यहां जनता के आशीर्वाद से आए हैं। यह पवित्र सदन राजनीति कलह का मंच नहीं है। हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपने आचरण से इसकी गरिमा को बढ़ाएं।
उन्होंने कहा कि हम सभी विधानसभा में हरियाणा की जनता की आवाज बनते हैं। हम यहां केवल कानून बनाने का कार्य नहीं करते हैं, बल्कि जनता की समस्याओं और अपेक्षाओं को भी व्यक्त करते हैं। हमारा आचरण और व्यवहार जनता के विश्वास का आधार होता है। इसलिए, हमें हर कदम पर यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारा व्यवहार जनता के सम्मान और भरोसे को बनाए रखें।
श्री हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि आज के दौर में विधानसभा की कार्यवाही जनता टेलीविजन, सोशल मीडिया और समाचार चौनलों के माध्यम से लाखों लोग देखते और सुनते हैं। लोकतंत्र में मर्यादा वह आधार है जिस पर सभी संस्थाएं टिकी होती हैं। सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी भाषा, व्यवहार और कार्यों में संयम और शिष्टाचार का परिचय दें। मर्यादा की सीमा लांघते हुए प्रयोग की गई भाषा से विधानसभा की पवित्रता और सम्मान को भी ठेस पहुंचती है।
सभी सदस्यों को यह समझना चाहिए कि उनके द्वारा बोला गया हर शब्द उनकी छवि और उनके ऊपर के जनता के विश्वास पर असर डालता है। गलत, अभद्र या अपमानजनक शब्दों का प्रयोग न केवल उनके व्यक्तिगत सम्मान को कम करता है, बल्कि जनता के बीच अविश्वास और असंतोष का कारण बनता है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में असहमति स्वाभाविक है और यह विचारों की विविधता को दर्शाती है। लेकिन असहमति को व्यक्त करने का तरीका शालीन, तर्कसंगत और सम्मानजनक होना चाहिए।