संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित ऐतिहासिक फिल्म देवदास, जो 2002 में रिलीज़ हुई थी, एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी चमक बिखेरने के लिए तैयार है। यह फिल्म, जो भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित कृतियों में से एक मानी जाती है, लॉस एंजेलेस स्थित अकादमी म्यूज़ियम ऑफ मोशन पिक्चर्स में आयोजित ‘इमोशन इन कलर: ए कालीडोस्कोप ऑफ इंडिया’ नामक विशेष कार्यक्रम के तहत प्रदर्शित की जाएगी। यह विशेष स्क्रीनिंग 8 मार्च से 20 अप्रैल 2025 तक आयोजित की जाएगी, जिससे भारतीय सिनेमा की भव्यता और कलात्मकता को एक बार फिर वैश्विक पहचान मिलेगी।
‘इमोशन इन कलर’ कार्यक्रम में भारतीय सिनेमा की भव्यता
इस कार्यक्रम में भारतीय सिनेमा की 12 प्रतिष्ठित फिल्मों को शामिल किया गया है, जिनमें देवदास भी एक प्रमुख फिल्म के रूप में शामिल की गई है। यह पहल भारतीय सिनेमा में रंगों की गहराई और उनके सांस्कृतिक प्रभाव को दर्शाने का एक अनूठा प्रयास है। यह साबित करता है कि देवदास न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में एक सिनेमाई कृति के रूप में प्रतिष्ठित है।
संजय लीला भंसाली: भव्यता और भावनाओं के बेजोड़ निर्माता
संजय लीला भंसाली की फिल्में हमेशा एक भव्य सपने की तरह होती हैं – गहरे भावनात्मक पहलुओं, शानदार दृश्यावली और राजसी भव्यता से परिपूर्ण। उनकी स्टोरीटेलिंग का जादू और शाही अंदाज़ उन्हें भारतीय सिनेमा में एक अनोखी पहचान देता है। देवदास उनकी सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक है, जो सालों बाद भी दर्शकों को उतनी ही आकर्षित करती है जितनी अपनी रिलीज़ के समय करती थी।
‘देवदास’ – एक अमर प्रेम कहानी
2002 में रिलीज़ हुई देवदास एक फिल्म से बढ़कर, एक एहसास बन गई थी। शाहरुख़ ख़ान ने दर्द से भरे देवदास के किरदार को इतनी शिद्दत से निभाया कि वह लोगों के दिलों में हमेशा के लिए बस गया। ऐश्वर्या राय, पारो के रूप में स्वप्निल सुंदरता का प्रतीक बनीं, जबकि माधुरी दीक्षित ने चंद्रमुखी के किरदार में अद्वितीय जान डाल दी।
फिल्म अपने भव्य सेट्स, दिल को छू लेने वाले गीतों और शानदार अभिनय के लिए खूब चर्चित रही। ‘डोला रे डोला’, ‘सिलसिला ये चाहत का’ और ‘मार डाला’ जैसे गाने आज भी संगीत प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। अधूरी मोहब्बत और राजसी ठाठ-बाट से भरी यह कहानी आज भी दर्शकों को उतनी ही गहराई से छूती है, जितनी पहली बार देखने पर छूई थी।
सिनेमा प्रेमियों के लिए सुनहरा अवसर
इस प्रतिष्ठित स्क्रीनिंग के ज़रिए भारतीय सिनेमा को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी। भारतीय और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए यह एक सुनहरा अवसर होगा कि वे संजय लीला भंसाली की इस सिनेमाई उत्कृष्टता को बड़े पर्दे पर फिर से अनुभव कर सकें।
देवदास की यह विशेष स्क्रीनिंग भारतीय सिनेमा की विश्वव्यापी स्वीकार्यता और भव्यता को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह आयोजन न केवल भारतीय सिनेमा को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि भावनाओं, रंगों और कला की इस शानदार प्रस्तुति को वैश्विक स्तर पर सराहा जाएगा।