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रेत ठेकेदारों के पक्ष में उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला

स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन ने जिस कानून के तहत तालिबानी तरीके से करोड़ों की रिकवरी की,उस कानून को ही विलोपित करने का आदेश हुआ जारी

जबलपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीय श्री सुरेश कुमार कैत एवं न्यायाधीश श्री विवेक जैन जी की बेंच ने रेत कारोबारियों से जुड़े एक बड़े मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए उन्हें बड़ी राहत दी है।मध्यप्रदेश खनिज निगम द्वारा पूरे प्रदेश में रेत के उत्खनन एवं परिवहन कर रहे ठेकेदारों पर अनावश्यक दबाव बनाते हुए करोड़ों की अवैध वसूली का गंभीर आरोप है।रेत ठेकेदारों की मानें तो उन्हें अपने अपने जिले का रेत उत्खनन एवं परिवहन का कार्य करने का ठेका अवश्य दिया गया लेकिन व्यावहारिक और जमीनी हकीकतों को तमाम शिकायतों के बावजूद खनिज विभाग के अधिकारियों द्वारा सिरे से खारिज किया गया।खनिज विभाग की धारा 10(3) और 12(5) वर्ष 2019 के तहत रेत ठेकेदारों को लगातार भारी भरकम राशि जमा करने के लिए बाध्य किया गया और जमा न करने पर तत्काल प्रभाव से उनकी ई टीपी बंद करने की धमकी देते रहे।ठेकेदारों के पास खनिज विभाग की मनमानी सहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।मध्यप्रदेश खनिज निगम के इसी तालिबानी रवैए के चलते मध्यप्रदेश के चंद जिलों को छोड़ कर सभी रेत ठेकेदार बीच में ही ठेका छोड़ कर भागने को मजबूर हो गए।एक तरफ पूरे प्रदेश में रेत का कारोबार ठप्प हो गया तो वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश खनिज निगम ने सभी रेत ठेकेदारों के ऊपर करोड़ों की रिकवरी निकाल वसूली की नोटिस देना शुरू कर दिया।
खनिज विभाग की धारा 10(3) एवं 12(5) 2019 को विलोपित करने का हुआ आदेश
अपने ऐतिहासिक फैसले में माननीय न्यायाधीश गणों ने यह माना कि जिस धारा के अंतर्गत ये वसूली की गई उस धारा का रॉयल्टी वसूली से कोई लेना देना ही नहीं।कानून का दुरुपयोग स्पष्ट है इसलिए इस धारा को तत्काल प्रभाव से विलोपित किए जाने का आदेश जारी हुआ
ठेकेदारों को करोड़ों की राशि वापस मिलेगी
पूरे प्रदेश के रेत ठेकेदारों की गलत तरीके से राजसात की गई करोड़ों की राशि की वापसी की राह इस आदेश के बाद प्रशस्त हो गई है।न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि चूंकि अब ये धारा ही विलोपित हो गई है,अतः इसके आधार पर की गई संपूर्ण वसूली स्वयंमेव अवैध हो जाती है
सतना के होटल कारोबारी अनिल अग्रहरि की बड़ी जीत
इस मामले में सतना के होटल कारोबारी अनिल अग्रहरि शिवा भी एक बड़े पीड़ित के रूप में थे।उन्होंने अपने खिलाफ अवैध रूप से की गई 27 करोड़ 27 लाख की वसूली के खिलाफ याचिका लगाई थी।आज के इस ऐतिहासिक फैसले से उनके मामले का भी पटाक्षेप करते हुए शासन को अब पैसा वापसी के लिए बाध्य होना पड़ेगा।कानूनी जानकारों की मानें तो ये फैसला अब पूरे देश में खनिज संबंधी मामलों के लिए बड़ी नजीर बनेगा

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