भोपाल: मध्य प्रदेश में हाल ही में 27 मार्च 2025 को परिवहन विभाग द्वारा जारी इलेक्ट्रिक वाहनों की परिवहन नीति की घोषणा का पालन न होने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस नीति के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन देने की बात कही गई थी, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका लाभ खरीदारों को नहीं मिल पा रहा है।
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने इस नीति को और आकर्षक बनाने के लिए एक नई घोषणा की थी, जिसमें कहा गया कि सत्र 2026-27 के अगले वित्तीय वर्ष में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर खरीदारों को टैक्स और पंजीयन शुल्क में 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। हालांकि, मौजूदा स्थिति में यह छूट लागू नहीं हो पा रही है, क्योंकि परिवहन विभाग के ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में अभी तक इस छूट को लागू करने के लिए कोई अपडेट नहीं किया गया है।
इसके चलते इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों से 4 प्रतिशत टैक्स और 5 प्रतिशत पंजीयन शुल्क वसूला जा रहा है, जो नीति की घोषणा के विपरीत है। इस स्थिति से नाराज खरीदारों ने वाहन शोरूम और विक्रेताओं के खिलाफ शिकायतें दर्ज की हैं। खरीदारों का कहना है कि नीति के अनुसार उन्हें टैक्स और पंजीयन शुल्क में छूट मिलनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं होने के कारण उनसे अतिरिक्त राशि वसूली गई है।
वाहन खरीदारों ने मांग की है कि नीति के अनुरूप छूट न दिए जाने के कारण उनसे ली गई अतिरिक्त राशि को तत्काल वापस किया जाए। कई खरीदारों ने शोरूम पर इस मुद्दे को उठाया है और विक्रेताओं से जवाब मांगा है। दूसरी ओर, विक्रेताओं का कहना है कि सॉफ्टवेयर में अपडेट न होने के कारण वे छूट लागू नहीं कर पा रहे हैं और यह समस्या परिवहन विभाग के स्तर पर हल होनी चाहिए।
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सॉफ्टवेयर अपडेट की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा। उन्होंने खरीदारों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है। हालांकि, खरीदारों का कहना है कि इस देरी के कारण उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इस मुद्दे ने मध्य प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की सरकारी योजना पर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नीति का प्रभावी कार्यान्वयन न होने से न केवल खरीदारों का भरोसा टूट रहा है, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति भी धीमी पड़ सकती है।
खरीदारों ने सरकार से मांग की है कि इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर छूट को लागू किया जाए और वसूली गई अतिरिक्त राशि को वापस करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इस बीच, परिवहन विभाग का कहना है कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और जल्द ही स्थिति स्पष्ट होगी।
यह मामला मध्य प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहन नीति के कार्यान्वयन में तकनीकी और प्रशासनिक खामियों को उजागर करता है, जिसका खामियाजा आम खरीदारों को भुगतना पड़ रहा है।