श्रीनगर: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते, कश्मीर घाटी को 2025 में भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगले साल सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है, जिसका सीधा असर कृषि पर पड़ेगा।
“द हिंदू” में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान लगाया गया है कि 2025 में कश्मीर में तापमान सामान्य से काफी ऊपर रहेगा। इससे न केवल पानी की कमी होगी, बल्कि फसलों पर भी बुरा असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को अभी से ही अपनी फसलों को इस भीषण गर्मी के लिए तैयार करना शुरू कर देना चाहिए।
क्या हो सकते हैं प्रभाव?
पानी की कमी: बढ़ती गर्मी से ग्लेशियरों के पिघलने की गति तेज हो जाएगी, जिससे नदियों के जल स्तर में बदलाव आएगा और पानी की कमी हो सकती है।
फसलों पर असर: सेब, चेरी और केसर जैसी प्रमुख फसलों पर गर्मी का बुरा असर पड़ सकता है। इन फसलों को कम तापमान की आवश्यकता होती है, और अधिक गर्मी से उनकी पैदावार घट सकती है।
बीमारियों का खतरा: गर्मी बढ़ने से फसलों में बीमारियों और कीटों का खतरा भी बढ़ जाएगा।
पर्यावरण पर असर: तापमान में वृद्धि से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
किसानों को क्या करना चाहिए?
जल संरक्षण: किसानों को जल संरक्षण के लिए ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।
गर्मी प्रतिरोधी फसलें: गर्मी प्रतिरोधी फसलों की किस्में लगानी चाहिए।
समय पर सिंचाई: फसलों को समय पर सिंचाई करना आवश्यक है।
विशेषज्ञों की सलाह: किसानों को कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए और आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।
वैज्ञानिकों ने सरकार से भी आग्रह किया है कि वह किसानों को इस चुनौती का सामना करने के लिए सहायता प्रदान करे। किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति जागरूक करना और उन्हें आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है।
यह चेतावनी कश्मीर के किसानों के लिए एक गंभीर मुद्दा है, और उन्हें इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।