आर्यावर्त संवाददाता, जबलपुर। नर्सिंग मामले में लंबी चली सीबीआई जांच के बाद जहां एक ओर 500 से ज़्यादा कॉलेजों में ताला लग गया है अब हाइकोर्ट ने नर्सिंग संस्थानों को मान्यता और संबद्धता देने वाले अधिकारियों की सूची पेश करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। इसमें इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) एमपी नर्सिंग काउंसिल (एमपीएनआरसी) और एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (एमपीएमएसयू ) के अधिकारियों को शामिल किया गया है।
कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों की सूची तलब की है जो अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने के निर्णयों में शामिल रहे हैं। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब उन अधिकारियों को बड़ी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है, जो अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने की अवधि में नर्सिंग काउंसिल के चेयरमैन (संचालक चिकित्सा शिक्षा), रजिस्ट्रार, काउंसिल के सदस्य, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य, कुलपति, इंस्पेक्टर आदि के दायित्व में पदस्थ थे ।
गुरुवार को लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई हुई । सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच के जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल ने शासन को अगली सुनवाई में सूची पेश करने के आदेश दिए हैं ।
सीसीटीवी संबंधी रिपोर्ट पेश नहीं करने पर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार –कहा अगली सुनवाई में रिपोर्ट पेश नहीं होने पर ज़िम्मेदार अधिकारी रहें कोर्ट में हाज़िर
ग़ौरतलब है कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने म.प्र. नर्सिंग काउंसिल दफ़्तर के 13 दिसंबर से 19 दिसंबर, 2024 तक की अवधि के काउंसिल कार्यालय के ग़ायब सीसीटीवी फुटेज को रिट्रीव करने और जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश पुलिस कमिश्नर भोपाल और साइबर सेल को दिये थे। लेकिन साइबर सेल ने पिछली सुनवाइ में डेटा रिट्रीव करने में असमर्थता जताते हुए कोर्ट में रिपोर्ट पेश की थी कि ज़ब्त सीसीटीवी फ़ुटेज के रिट्रीव करने के टूल साइबर के पास उपलब्ध नहीं है इसलिए उक्त कार्य हेतु ज़ब्त सीसीटीवी डीवीआर को सेंट्रल लैब भेजा गया है। आज की सुनवाई में भी कोई रिपोर्ट पेश नहीं करने पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराज़गी ज़ाहिर करते निर्देश दिये हैं कि यदि अगली सुनवाई तक रिपोर्ट पेश नहीं की जाती है तो ज़िम्मेदार अधिकारी को कोर्ट में हाज़िर रहना होगा ।