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 पर्सनल केयर

डॉ. पूजा दुबे

डायरेक्टर, डर्माकेयर-लेजर एंड स्किल क्लीनिक

गर्मियों के आते ही बाज़ार में सनस्क्रीन की बाढ़ आ जाती है और आपको इसे लगाने की सलाह भी मिली होगी। सनस्क्रीन अपने नाम के मुताबिक सन के लिए बनी स्क्रीन है, यानी धूप में स्किन का स्क्रीनगार्ड। यह हमारी स्किन पर एक परत की तरह काम करती है और तेज धूप में सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणों से होने वाले नुकसान से बचाती है। घर से बाहर निकलते समय सनस्क्रीन ना लगाने पर स्किन पर टैनिंग,प्री- मैच्योर एजिंग, सनबर्न और कुछ मामलों में स्किन कैंसर होने का खतरा रहता है। 

सनस्क्रीन का प्रभाव सबसे ज्यादा निर्भर करता है उसमें मौजूद ‘एसपीएफ’ यानि ‘सन प्रोटेक्टिंग फैक्टर’ पर। विज्ञापनों का असर कहें कि लोगों के बीच ये भ्रांति है कि जितना ज्यादा एसपीएफ होगा उतना ज्यादा सूरज की यूवी रेज से प्रोटेक्शन मिलेगा। ज़्यादा एसपीएफ यानी ज़्यादा केमिकल। अगर हम इंडियन स्किन की बात करें तो एसपीएफ 15 से 30 काफी रहता है। हमारी स्किन में मेलेनिन होता है। जिससे स्किन, बाल और आंखों को रंग मिलता है। गोरी त्वचा वाले लोगों में कम मेलेनिन होता है इसलिए उन्हें ज़्यादा एसपीएफ वाले सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी जाती है। यही मेलेनिन सूरज के हानिकारक किरणों से स्किन को नुकसान पहुंचने से बचाता है। बाहर जैसे ही आप सूर्य के संपर्क में आते हैं मेलेनोसाइट्स कोशिकाएं ज्यादा मेलेनिन बनाना शुरू कर देती हैं। स्किन में जब अधिक मेलेनिन हो जाए तो झाइयां होने लगती हैं। अक्सर लोग गर्मियों में ही सनस्क्रीन का इस्तेमाल ज़्यादा करते हैं लेकिन डर्मेटोलॉजिस्ट की मानें तो हमें सालभर सनस्क्रीन लगाना चाहिए। 

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सनस्क्रीन का कैसे करें चयन

बाजार में कई तरह के सनस्क्रीन मौजूद हैं, जैसे- क्रीम, लोशन और माइश्चराइजर आदि। लेकिन जरूरी नहीं है वे सब आपकी स्किन को सूट करें। अपनी स्किन के मुताबिक कैसे सनस्क्रीन का चुनाव करें और किन बातों का ख्याल रखें, आइए जानते हैं।

★यदि आपकी ऑयली स्किन है तो जेल या मैट सनस्क्रीन का चुनाव करें। अगर आप हेवी या ग्रीजी सनस्क्रीन अपनी स्किन पर लगाएंगे, तो आपके स्किन के रोम छिद्र अतिरिक्त तेल की वजह से ब्लॉक हो सकते हैं।

★ड्राई स्किन या रूखी त्वचा को पूरी तरह से हाइड्रेट करके रखना पड़ता है। इसलिए,ऐसे सनस्क्रीन को चुनिये जिसमें मॉइस्चराइजिंग एलीमेंट हों। एसपीएफ 30 से 50 के बीच वाले क्रीम या लोशन युक्त सनस्क्रीन उपयुक्त रहते हैं। मिनरल और फिजिकल सनस्क्रीन भी ड्राई स्किन पर अच्छे से काम करता है।

★सेंसिटिव स्किन वाले लोगों को फिजिकल सनस्क्रीन लगाना चाहिए, जिसमें टाइटेनियम डायऑक्साइड और जिंक ऑक्साइड जैसे इनग्रेडिएन्ट होते हैं। 

★जिनकी स्किन एक्ने वाली होती है, उन्हें सोच- समझ कर सनस्क्रीन चुनना चाहिए। फिजिकल सनस्क्रीन नॉन- कॉमेडोजेनिक होते हैं। इसका मतलब यह है कि इन्हें बंद रोम छिद्रों से बचाने के लिए विशेष तौर पर तैयार किया गया है। 

★नॉर्मल स्किन वालों को ये सहूलियत रहती है कि वे किसी भी तरह के सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, सलाह यही रहती है कि केमिकल की जगह फिजिकल सनस्क्रीन लगाएं।  

क्या है एसपीएफ का गणित– 

सनस्क्रीन लेने से पहले एसपीएफ नंबर पर जरूर ध्यान दें। इसको लेकर काफी लोग कंफ्यूज रहते हैं। सिर्फ टैनिंग को रोकने के लिए कोई भी सनस्क्रीन ना खरीदें। 

अगर आप लंबे समय तक घर से बाहर रहते हैं, तो आपको ज्यादा एसपीएफ वाला सनस्क्रीन लेना चाहिए। अगर आप सिर्फ उतनी देर ही बाहर रहते हैं, जितनी देर घर से ऑफिस जा रहे हैं, तो आपको लिए कम एसपीएफ वाला सनस्क्रीन भी मुफीद रहेगा। डर्मेटोलॉजिस्ट के मुताबिक आपको कम से कम एसपीएफ 15  वाला सनस्क्रीन लगाना ही चाहिए।  दरअसल, सूरज से दो तरह की रेज निकलती है- अल्ट्रावॉयलेट ए रेज और अल्ट्रावॉयलेट बी रेज। अल्ट्रावायलेट ए वह है जिनका हमें पता नहीं चलता और ये हमारे अंदर के टिशूज को जला देता है। वहीं, अल्ट्रावायलेट बी रेज हमारे शरीर को ऊपर से बर्न करता है और हमारी स्किन को जला देता है। नतीजतन पिगमेंटेशन की समस्या। सनस्क्रीन की रेटिंग इन्हें देखकर दी जाती है। एसपीएफ की रेटिंग में अल्ट्रावॉयलेट बी रेज को देखा जाता है। 

केमिकल युक्त सनस्क्रीन से बचें

सनस्क्रीन में मौजूद एक्टिव इनग्रेडिएन्ट आपको सूरज की यूवीए और यूवीबी किरणों से बचा कर रखते हैं। ऐसे सनस्क्रीन को चुनें, जिसमें सूटेबल और सही इनग्रेडिएन्ट हों। अगर उसमें ऑक्सीबेंजोन नाम का केमिकल है तो उसे न खरीदें और न ही लगाएं। इससे त्वचा में एलर्जी हो सकती है। हॉर्मोन्स का संतुलन भी बिगड़ सकता है।

वॉटर रेसिस्टेंट सनस्क्रीन

वैसे मार्केट में ढेरों वॉटरप्रूफ या स्वेटप्रूफ सनस्क्रीन मौजूद हैं लेकिन ये भी खास तापमान पर ही वॉटर या स्वेट रेसिस्टेंट होती हैं। इसलिए हर चार से पांच घण्टे में सनस्क्रीन को दोबारा लगाएं। अगर आप इससे ज़्यादा बाहर रहते हैं, आउटडोर गेम्स खेलते हैं या दिन के वक्त स्विमिंग करते हैं, तो आपके लिए बहुत ज़रूरी है। 

वाइट पैच हो तो सनस्क्रीन से बचें

अगर किसी को विटिलिगो यानी सफेद दाग की शिकायत है तो डर्मेटोलॉजिस्ट उन्हें सनस्क्रीन नहीं लगाने की सलाह देते हैं। उनके मुताबिक स्किन में वाइट पैच इसलिए होते हैं क्योंकि उनका मेलेनिन कम हो जाता है। ऐसे में यूवी रेज अच्छी हैं। इससे स्किन का मेलानिन वापस आता है। विटिलिगो के मरीजों को खासकर धूप में बैठने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा अगर आपकी स्किन पर खुजली हो रही है, या लाल सा हो गया है तो उस सनस्क्रीन को आगे बिल्कुल न लगाएं।

अधिकतर लोग सनस्क्रीन का इस्तेमाल सिर्फ चेहरे पर करते हैं या फिर उसी को शरीर के बाकी हिस्सों में लगा लेते हैं। जबकि चेहरे पर एसपीएफ और बूट रेटिंग देखकर सनस्क्रीन इस्तेमाल करने की सलाह होती है। लेकिन शरीर के बाकी हिस्सों में फिजिकल सनस्क्रीन या जिसे हम सनब्लॉक भी कहते हैं, लगाना चाहिए। यह खुशबू रहित होता है और  इसमें जिंक ऑक्साइड या टाइटेनियम ऑक्साइड होती है, जो एसपीएफ की तरह केमिकल नहीं होता इसलिए शरीर के बाकी हिस्सों के लिए काफी अच्छा होता है। डर्मेटोलॉजिस्ट छोटे बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं को फिजिकल सनस्क्रीन लगाने की सलाह देते हैं। सनस्क्रीन के अलावा सूरज की किरणों से बचने के लिए गर्मियों में अपने शरीर को ढककर रखें, काले चश्मे और छतरी का प्रयोग करें और खूब पानी पीएं।

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घर पर कैसे बनाएं सनस्क्रीन

आपकी गर्मियां खूबसूरत हों और सनस्क्रीन से होने वाले केमिकल नुकसान, एलर्जी, आंखों में जलन  और बढ़ते मुहांसे से परेशान रहते हैं तो घर पर सनस्क्रीन बनाकर लगा सकते हैं जो कि रामबाण का काम करेगा।

ऑरेंज सनस्क्रीन

तीन-चार ऑरेंज ले लें। इसका जेस्ट यानी ऑरेंज के ऊपरी पर परत का खुरचन निकाल लें। अब एक पतीले में पानी डालकर उबालें और पानी के अंदर एक बाउल भी रखें। जिसमें 8-10 टेबल स्पून नारियल तेल, एक पिंच हल्दी और ऑरेंज जेस्ट को करीब आधा घण्टा पका लें। इसके बाद इसको छान लें और ठंडा होने पर लगाएं। ये लोशन दो महीने तक रख सकते हैं। 

एलोवेरा सनस्क्रीन

एलोवेरा सनस्क्रीन को बनाने के लिए आपको चाहिए आधा चम्मच हल्दी पाउडर और 1 चम्मच एलोवेरा जेल। अब इसे आइस क्यूब में फ्रीज कर लें। इस आइस क्यूब को स्किन पर रगड़ें और सूखने दें।

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