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क्या है पीएम विश्वकर्मा योजना, 5 प्रतिशत ब्याज पर मिलेगा इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को लोन


15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने विश्वकर्मा योजना की शुरुआत करने का ऐलान किया। वहीं अब कैबिनेट ने योजना के लिए 13 हजार करोड़ रुपये भी मंजूर किए गए हैं। इसमें पहली बार 18 परंपरागत व्यवसायों से जुड़े परिवारों को कवर किया जाएगा। यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों व शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती पर ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ लॉन्च की जाएगी।

दरअसल, केंद्र सरकार ने परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता देने के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना को मंजूरी प्रदान की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में इस योजना का उल्लेख किया था। पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने बुधवार को इसे मंजूरी प्रदान की। योजना के तहत 18 परंपरागत व्यवसायों में प्रमुख रूप से नौका निर्माता, लोहार, टूलकिट निर्माता, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार, राजमिस्त्री, बुनकर, परंपरागत खिलौना निर्माता, नाई, धोबी, दर्जी और जाल निर्माता शामिल हैं।

विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और आईडी दी जाएगी


योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान की जाएगी। पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और आईडी सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कर मुहैया कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि योजना के तहत इन कार्यों से जुड़े लोगों के कौशल विकास, बाजार पहुंच और आर्थिक सहयोग पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्हें बेसिक और एडवांस ट्रेनिंग दी जाएगी। डिजिटल लेनदेन में प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।

क्या होगा लाभ


केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आधुनिक आपाधापी में पीछे छूट गए गुरु-शिष्य परंपरा के तहत चले आ रहे इन व्यवसायों को सरकार मदद प्रदान करेगी। इसके तहत 30 लाख परिवारों के किसी एक व्यक्ति को योजना से जोड़ा जाएगा। योजना के तहत उन लोगों को 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक की ऋण सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा कौशल विकास सामग्री खरीद में भी मदद दी जाएगी। पहले वर्ष में पांच लाख परिवारों को कवर किया जाएगा और वित्त वर्ष 2024 से वित्त वर्ष 2028 तक पांच वर्षों में कुल 30 लाख परिवारों को कवर किया जाएगा।

इन व्यवसाय वालों को किया गया है शामिल


(1) बढ़ई (सुथार); (2) नाव निर्माता; (3) अस्त्र बनाने वाला; (4) लोहार (5) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (6) ताला बनाने वाला; (7) गोल्डस्मिथ (सुनार); (8) कुम्हार; (9) मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाला, पत्थर तोड़ने वाला); (10) मोची (चर्मकार)/जूता कारीगर; (11) मेसन (राजमिस्त्री); (12) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/जूट बुनकर; (13) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (14) नाई; (15) माला बनाने वाला; (16) धोबी; (17) दर्जी और (18) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला शामिल हैं।

देश के किस राज्य में कितना OBC वोट बैंक है।

देश के 13 राज्यों में OBC की आबादी 40% से ज्यादा है। यही वजह है कि BJP और बाकी राजनीतिक दल आने वाले चुनाव में इन्हीं प्रदेशों के इस वोट बैंक को साधना चाहते हैं।

OBC समुदाय के घरों तक पहुंचने के लिए अभियान: 6 अप्रैल 2023 को BJP OBC मोर्चा ने एक लाख गांवों के एक करोड़ OBC परिवारों तक पहुंचने के लिए ‘गांव-गांव चलो, घर-घर चलो’ अभियान शुरू किया।
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से पहले केंद्र ने OBC समुदाय के लिए रोहिणी आयोग का भी गठन किया था। OBC में 2600 से ज्यादा जातियां हैं। केंद्र सरकार का मानना है कि आरक्षण का फायदा इनमें से गिनी-चुनी जातियों को मिला है। ऐसे में आरक्षण को सब-कैटेगरी में बांटने की जरूरत है।

इसके लिए केंद्र ने 2 अक्टूबर 2017 को रोहिणी आयोग बनाया।  इस आयोग का उद्देश्य यह पता करना कि OBC के अंदर कितनी जातियों और समुदायों को आरक्षण का फायदा मिल रहा है? OBC में आरक्षण के बंटवारे के लिए तरीका, आधार और मानदंड क्या होने चाहिए? OBC को अलग-अलग उपवर्गों में बांटने के लिए उनकी पहचान कैसे की जाए?
रोहिणी आयोग ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को फाइनल रिपोर्ट दे दी है।

दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने OBC समुदाय से किए 4 बड़े वादे किए हैं। फरवरी 2023 में रायपुर में हुए महाधिवेशन में OBC समुदाय को जोड़ने के लिए कांग्रेस ने प्रस्ताव भी पारित किए। जैसे- प्राइवेट सेक्टर में OBC समुदाय को आरक्षण दिलाएंगे, न्यायपालिका में SC/ST के साथ OBC को भी आरक्षण दिलाएंगे, हर 10 साल में होने वाली जनगणना के साथ ही सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना भी कराएंगे, कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी CWC में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और OBC के लिए 50% पदों को आरक्षित किया जाएगा।

कांग्रेस ने राजस्थान में OBC आरक्षण बढ़ाया, MP में जाति जनगणना का वादा भी किया। विधानसभा चुनाव से ऐन पहले राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने मौजूदा OBC आरक्षण को 21% से बढ़ाकर 27% करने का ऐलान किया है।
कर्नाटक में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जाति जनगणना कराने की बात कही है। वहीं राजस्थान के CM अशोक गहलोत ने भी जाति जनगणना का समर्थन किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को मध्यप्रदेश में ऐलान किया कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जातिगत जनगणना कराई जाएगी।

राजद, जदयू, सपा और बसपा ने पहले ही जातिगत जनगणना का मुद्दा छेड़ रखा है। UP में सपा और बिहार में राजद, जदयू का कोर वोट बैंक OBC है। UP में सपा और बिहार में राजद की यादवों पर मजबूत पकड़ है। वहीं, बिहार के कोयरी, कुर्मी और मंडल जातियों पर जदयू की पकड़ है। इन दलों ने अब जाति जनगणना का मुद्दा छेड़ दिया है।

बिहार में राजद और जदयू सरकार ने जाति जनगणना करानी शुरू भी कर दी है। बसपा और सपा ने भी सरकार बनने पर जाति जनगणना कराने की बात कही है। इन दलों का मानना है कि इससे OBC की असली संख्या पता चल सकेगी। इसके बाद आबादी के आधार पर ही सरकारी लाभ का सही से बंटवारा हो पाएगा।

2024 लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने नई टीम बनाई है। इसमें लगभग पचास फीसदी पद OBC को मिले हैं। पार्टी संगठन के कुल 120 में से 56 पद OBC नेताओं को दिए गए हैं।

जदयू ने भी 32 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 16 OBC और अति पिछड़े समुदाय के नेताओं को जगह दी है।

ममता ने आरक्षण बढ़ाने का वादा किया: पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार ने OBC छात्रों को हर महीने 800 रुपए छात्रवृत्ति देने के लिए ‘मेधा श्री’ योजना की शुरुआत की। इसके अलावा TMC ने घोषणापत्र में माहिष्य-तेली और साहा जैसी जातियों को OBC आरक्षण देने का वादा किया है।

DMK ने सोशल जस्टिस का सम्मेलन बुलाया: DMK ने अप्रैल 2023 में ‘ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस’ का पहला सम्मेलन आयोजित किया। तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन इस सम्मेलन के जरिए 20 दलों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाए।

इस सम्मेलन में DMK ने केंद्र सरकार से जाति आधारित जनगणना कराने और आंकड़े जारी करने की मांग की। इस बैठक में सभी राज्यों में इसकी निगरानी करने की बात कही गई। स्टालिन ने कहा कि लाखों OBC पद खाली पड़े हैं। EWS कोटा के जरिए पिछड़ी जातियों के अधिकारों को छीना जा रहा है।

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